chatgpt
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पहले समय से लेकर अबतक बहुत ज्यादा हो चुका है पहले जो काम काफी समय में लगता था अब उसको करने में कुछ मिनट ही लगते हैं आज कल अपने कहीं ना कहीं ए आई। और चैटजीपीटी के लेकर कुछ ना कुछ सुना होगा या फिर पढ़ा होगा यह बदलाव मुमकिन हुआ चैटजीपीटी की मदद से आने वाला समय ए.आई और चैटजीपीटी जेसे टूल का होगा
फ़ायदा या नुकसान

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क्या है चैटजीपीटी और ए आई

ChatGPT का मतलब है Chat Generative Pre-trained Transformer है। यह एक तरह का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) टूल है। Chat GPT की ऑफिशियल वेबसाइट chat.openai.com है। इसके जरिये यूजर यानि आप किसी भी सवाल का जवाब हासिल कर सकते हैं। चैट जीपी एक ऐसा टूल है जो आपके सवाल का पूरी तरह से जवाब देता है। चैटजीपीटी आपके सवालों का जवाब देने के लिए इंटरनेट पर उपलब्ध 2021 तक के डेटाबेस, का इस्तेमाल करता है। यह डेटा और कंप्यूटिंग तकनीकों से चलता है। यह शब्दों को सार्थक तरीके से एक साथ जोड़ने के बाद जवाब तैयार करता है। इसके लिए यह न केवल शब्दावली और जानकारी का इस्तेमाल करता है बल्कि शब्दों को उनके सही संदर्भ में समझ कर जवाब देता है।

किसने बनाया चैट जीपीटी को

चैटजीपीटी को अमेरिका की एक मशहूर कंपनी ओपन ए.आई.(OPENAI) के दुवारा बनाया गया है. इसके बनाने वाले व्यक्ति सैम ऑल्टमैन (Sam Altman) हैं रोजाना इसको मेंटेन करने के लिए 700000 अमेरिकी डॉलर का खर्चा आता है और इसके यूजर की संख्या ही काफी ज्यादा है। हर महीना करीब 1.85 अरब उपयोगकर्ता इसका उपयोग करता है| इसके जरिये यूजर किसी भी सवाल का जवाब हासिल कर सकते हैं। ChatGPT पास 2021 के बाद के ही डेटा अपलोड है

लॉन्चिंग के समय से प्रश्न के घेरे में

चैटजीपीटी को 30 नवंबर 2022 को लॉन्च किया था। लॉन्च होने के बाद करोड़ लोग इसका यूज कर चुके हैं। लॉन्चिंग के बाद से इसके यूजर्स की संख्या अरब के पार पहुंच गई है। लॉन्चिंग के बाद से इसके नेगेटिव प्रभाव को लेकर सवाल उठ रहे हैं। ChatGPT से कई तरह की गम्भीर गलतियां सामने आई हैं। ChatGPT के गलत और भ्रामक जानकारी देने के पीछे की है कि यह सिर्फ 2021 के डेटा के आधार पर ही जवाब दे रहा है। दूसरी तरफ कई एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह क्रिएटिविटी के लिए संभावित खतरा है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के तेजी से डेवलप होते दौर में इसके नेगेटिव असर को लेकर भी चर्चा खूब हो रही है। इस बीच दुनियाभर में चर्चा का केंद्र बने एआई एडवांस चैटबॉट ChatGPT को ग्लोबल लेवल पर झटका लगा है। इटली ने ChatGPT को अपने यहां बैन कर दिया है।
दुनियाभर में इस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के तेजी से होते डेवलपमेंट को लेकर खूब चर्चा हो रही है। इस चर्चा में एडवांस चैटबॉट Chat GPT एक बड़ी वजह है। एआई को लेकर जितनी चर्चा चैटजीपीटी को फायदे और नुकसान को लेकर हो रही है उतनी शायद किसी अन्य चैटबॉट या एआई टूल को लेकर नहीं हो रही होगी। हाल ही में इटली ने एडवांस चैटबॉट ChatGPT को अपने यहां बैन कर दिया है। ऐसा करने वाला वह पहला यूरोपीय देश बन गया है। इटली ने इसके पीछे निजता (Privacy) से जुड़ी चिंताएं बताई हैं।सभी देशो में इसको बैन कर दिया है iरूस
iiईरान,
iiiसीरिया,
ivउत्तर कोरिया,
vक्यूबा,
viइटली,
viiचीन,
viiiविभिन्न अफ़्रीकी देश

कहां-कहां पड़ने वाला है असर

एक लेख में कहा गया था कि इस तरह के आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस(ai) एजुकेशन,प्रोग्राम से लर्निंग, डिजिटल सुरक्षा और यहां तक कि लोकतंत्र (democrecy)तक पर असर की संभावना है।

मानव जीवन पर इसका प्रभाव

चैटजीपीटी को लेकर सोशल एंटरप्रेन्योर और इंटरनेशनल ट्रेनर अजित वरवांडकर टाइम्स ऑफ इंडिया में छपे अपने लेख में कहते हैं कि शिक्षाविद इस एआई टूल के प्रभाव के बारे में बहुत चिंतित हैं। क्या यह मॉडल शिक्षा व्यवस्था के लिए अच्छा होगा? कि भारत और विदेशों में विभिन्न विश्वविद्यालयों ने पहले ही अपने परिसरों में चैटजीपीटी पर प्रतिबंध लगा दिया है। उनका कहना है कि यदि छात्र चैटजीपीटी पर अत्यधिक निर्भर हो जाते हैं, तो उनकी स्वतंत्र आलोचनात्मक सोच और समस्या को सुलझाने की स्किल बिगड़ सकती हैं। समय के साथ, छात्र सबसे हटकर सोचने और मूल विचार उत्पन्न करने की क्षमता खो सकते हैं। इस बारे में साओ पाउलो यूनिवर्सिटी के प्रो. मचादो डायस का कहना है कि क्रिएटिविटी के लिए असाधारण प्रतिभा की आवश्यकता होती है लेकिन एल्गोरिदम की मदद से पैदा की गई चीजों से मनुष्यों में क्रिएटिव होने की प्रवृति कम होगी। ऐसे में अब किसी भी तरह के सवाल के जवाब के लिए बहुत ज्यादा दिमाग नहीं लगाना पड़ेगा। इससे आने वाले समय में जवाब से ज्यादा महत्वपूर्ण सवाल होने जा रहा है।

रोजगार को लेकर भी है चिंता

चैटजीपीटी को लेकर कहा जा रहा है कि सबसे बड़ा खतरा नोकरियो के लेके ही है।चैटबॉट 20 फील्ड में नौकरियों को समाप्त कर सकता है। इसमें डाटा एंट्री क्लर्क, कस्टमर सर्विस की संभावित रूप से जगह ले सकता है। हाल ही में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मनुष्यों और मशीनों के बीच रस्साकशी के प्रत्यक्ष परिणाम के रूप में 2025 तक kye करोड़ नौकरियां खत्म हो जाएंगी।

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