चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग कर इतिहास रचा
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चांद(chandrayaan-3)के दक्षिणी ध्रुव पर भारत की हुकूमत


भारत आज चौथा ऐसा करने वाला देश बन गया है भारतीय समय के अनुसार chandrayaan-3 6.04 मिनट पर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग कर इतिहास रच दिया है, इसके साथ हर भारतीय के लिए आज गर्व का दिन है भारत को चांद की सतह पर सफल लैंडिंग कराने वाला चौथा देश बनने पर दुनिया की अंतरिक्ष एजेंसियां भारत की इस सफलता पर बधाई दे रही हैं
बता दे—chandrayaan-3 को 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2:35 बजे निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, भारत के आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से लॉन्च किया गया था। अंतरिक्ष यान ने 5 अगस्त 2023 को चंद्र कक्षा में प्रवेश किया

ISRO चीफ एस सोमनाथ को पूरी दुनिया से बधाई मिल रही है उन्हें भी अपनी टीम को धन्यवाद मिठाई खिलाकर बधाई दी

दुनिया भर की स्पेस एजेंसी भारत को बधाई दे रही है|नासा और यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने भारत को बधाई दी है

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बता दें कि लैंडर और MOX-ISTRAC, बेंगलुरु के बीच संचार लिंक स्थापित कर लिया गया है और लैंडर ”विक्रम”ने चांद पर पहुंचते ही अपना काम को अंजाम देना भी शुरू कर दिया है चांद पर लैंड होते वक्त तस्वीरें लैंडर ”विक्रम”ने भेजी जोकी लैंडर के हॉरिजॉन्टल वेलोसिटी कैमरे से ली गई हैं

ISRO चीफ एस सोमनाथ ने बताया कि 2 से 4 घंटे के बीच में ‘विक्रम’लैंडर से रोवर प्रज्ञान बाहर आएगा यह इस पर निर्भर करता है कि लैंडिंग वाली जगह पर मिट्टी कैसी है.इसके बाद इसरो चार्जेबल बैटरी के जरिए रोवर को चलाने की कोशिश करेगा.यदि यह अच्छा रहा तो रोवर का अगले 14 दिनों के लिए उपयोग किया जाएगा

प्रज्ञान रोवर बाहर निकलकर अपना पहला कदम चांद की धरती पर चलेगा. इस कदम के साथ ही चांद की मिट्टी पर भारत का राजकीय चिह्न यानी अशोक स्तंभ छप जाएगा

रोवर के छह पहिये हैं, जो चांद की धरती का डाटा प्रोवाइड कराने के लिए डिजाइन किया गया है.सबसे पीछे वाले पहियों पर भारत का राजकीय चिह्न यानी अशोक स्तंभ और ISRO का LOGO बना हुआ है.इसके चलते प्रज्ञान रोवर चांद की धरती पर जहां भी घूमेगा, वहीं पर पीछे-पीछे ये निशान भी चांद की धरती पर बनते चले जाएंगे. चांद पर हवाएं नहीं चलती हैं. जिसके चलते ये निशान मिटने की कभी-भी संभावना नहीं है यानी की भारत की मौजूदगी हमेशा के लिए वहां छपकर रह जाएगी|

ISRO चीफ एस सोमनाथ ने यह भी बताया कि 23 अगस्त की तारीख बड़ी सोच-समझकर चुनी गई क्यूकी चांद पर 14 दिन तक दिन और अगले 14 दिन तक रात रहती है 22 अगस्त तक चांद पर 14 दिन की रात की अवधि थी अगर जब वहां रात हो तो चंद्रयान ऐसे वक्त में चांद पर उतरेगा वह काम नहीं कर पाएगा आज से चांद पर दिन है 23 अगस्त से 5 सितंबर के बीच दक्षिणी ध्रुव पर धूप निकलेगी, जिसकी मदद से चंद्रयान का रोवर चार्ज हो सकेगा और अपने आप को चलाने के लिए ये सौर्य ऊर्जा का इस्तमाल करेगा
ISRO के पूर्व डायरेक्टर प्रमोद काले के मुताबिक – चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर तापमान माइनस 230 डिग्री तक चला जाता है इतनी कड़ाके की सर्दी में दक्षिणी ध्रुव पर chandrayaan-3 का काम कर पाना काफ़ी कठिन हो जाएगा,इस समस्या के समाधान के लिए इन दिनों का चुनाव किया गया है यही वजह है कि इन 14 दिन तक जब दक्षिणी poll पर सूरज रोशनी रहेगी तभी तक इस मिशन को चलाया जा सकता है

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